युवा भारत अर्थव्यवस्था और भविष्य

भारत के नौकरशाही(ब्यूरोक्रेसी) और राजनीतिक सोच में अब एक बदलाव नजर आता है कि भारत अब पहले की तरह गरीब देश नही रहा भारत अब काफी विकास कर चुका है और उस पथ पर भी अग्रसर है, चाहे वह प्याज की दिक्कत हो, गेहूं की दिक्कत हो या फिर लड़ाकू विमानों की दिक्कत हो भारत इन दिक्कतों से लड़ सकता हैं। लेकिन सचाई यह भी है की भारत में गरीबी ज्यादा है, कुपोषण की समस्या ज्यादा है।संसाधनों(अवसर) की समस्या ज्यादा है, बहुत से छात्र या छात्राएं अपना दाखिला ले तो लेते है लेकिन स्कूल जाना छोड़ देते है। बहुत से ऐसे विद्यार्थी है जो स्नातक के बावजूद भी बेरोजगार है, ऐसे भी है जिन्होंने व्यवसायिक प्रशिक्षण लिया है फिर भी बेरोजगार है। यह बात भी सच है की अभी जननाकीय लाभांश भारत के पक्ष में है और व्यवहार रूप से भारत अभी युवा देश भी है। अगर हमने सही समय पर इसका लाभ नहीं उठाया तो आगे चलकर यही हानिकारक भी हो सकता है।

अभी भारत मानव विकास सूचकांक में 131 वें स्थान पर है चीन 85 वें स्थान पर है जबकि श्रीलंका 71 वें स्थान पर है। भारत क्रय शक्ति समता(परचेसिंग पावर पैरिटी) के हिसाब से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है(अमेरिका और चीन के बाद) यह भारत की बड़ी जनसंख्या के कारण है। जबकि भारत सकल घरलू उत्पाद के हिसाब से पांचवे स्थान पर है प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से हम चीन से पीछे है और वियतनाम से थोड़ा आगे, थोड़ा आगे इसलिए क्योंकि वियतनाम में शिक्षा व्यवस्था काफी अच्छी है तो शायद वियतनाम भारत को छोड़ आगे निकल जायेगा और मानव विकास सूचकांक में वियतनाम हमसे बहुत बेहतर स्तिथि में है। फ्रांस और इंग्लैंड की बात करे तो वो प्रति व्यक्ति के हिसाब से हमसे बहुत आगे है जबकि ये देश आकर के हिसाब से हमारे तमिलनाडु, राजस्थान के बराबर है। आसियान देशों की कम जनसंख्या के बावजूद भी वो जीडीपी प्रति यक्ति आय के हिसाब से भारत के 80% के बराबर है।

 भारत की जनसंख्या ज्यादा है इसलिए भारत को एक मजबूत मध्यस्थ शक्ति के रूप में आंका जाता है। अगर भारत अपनी अर्थव्यवस्था को एकीकृत नहीं करता है अपनी chamta को सुदृढ़ नहीं करता है तो जल्द ही यह शक्ति खो देगा। हमे बड़े बड़े स्मारक बनाने के बजाए मॉडर्न स्कूल, मॉडर्न विश्वविद्यालय, अपने नागरिकों को सहिष्णु बनाने पर अधिक अग्रसर होना चाहिए ताकि वो इस चुनौती भरे वैश्विक माहौल में खुद को निखार सके और अधिक से अधिक नवाचार la सके। लेकिन हमने हमेशा अयवरात्मक रवैया अपनाया है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण आरसीईपी है। 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था पर बात करने से कुछ nhi होगा इस लक्ष्य को पाने के लिए बेहतर शिक्षा, बेहतर संसाधनों की उपलब्धता, युवाओं को बेहतर कौशल देने की क्षमता, बेहतर अवसंरचनात्मक बनाने पर ध्यान देना होगा ताकि लोगों का कल्याण हो सके और अर्थव्यवस्था भी आगे बढ़े।

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sharmadevesh

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