आजादी का अमृत महोत्सव हरित और स्वच्छ उर्जा के संकल्प के साथ

दिन 21 सितंबर 2019, स्थान संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, वक्तव्य दे रहे थे संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटेनियो गुटेरस। अपने संबोधन में एंटेनियो कहते हैं कि भारत हरित ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दुनिया को भारत के कदम से सीखने की ज़रूरत हैं। भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है जो प्रसंशनीय है। दरअसल एंटेनियो भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र को उपहार में दिए गए गांधी सोलर पार्क का उद्घाटन कर रहे थें। इस पार्क के कारण संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अब पूरी तरह हरित ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा रहा है।
आज भारत दुनिया के सबसे बड़ा लोकतंत्र के रूप में अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश के आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं। इस उत्सव का जश्न देश का प्रत्येक नागरिक अपने अपने तरीके से मना रहा है। हर व्यक्ति हर तरह का प्रण ले रहा है। इसी कड़ी का एक प्रण है आजादी का अमृत महोत्सव हरित और स्वच्छ ऊर्जा के संकल्प के साथ।
क्यों जरुरी है हरित और स्वच्छ ऊर्जा?
पृथ्वी पर वर्तमान समय में उपलब्ध ऊर्जा के अनवीकरणीय भंडार एक सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इन्हें खत्म होने के बाद दोबारा बनने में हजारों साल लगते हैं। इसके साथ साथ इसके इस्तेमाल करने से अत्यधिक वायु प्रदूषण होता है जिसके कारण ग्रीन हाउस गैस, कार्बन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन से लगातार पहाड़ों के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जिसके कारण लगातार समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है।
हरित ऊर्जा की कितनी जरूरत?
किसी भी संप्रभु राष्ट्र के विकास के लिए उर्जा सबसे बड़ी जरूरत है। पूरे देश के विकास की नींव उर्जा पर निर्भर है। ऊर्जा लोगों के जीवन स्तर को बढ़ाने के साथ साथ लोगों के आजीविका में भी मदद करती है। भारत वर्तमान में अपने ऊर्जा जरूरत का लगभग 36 फीसदी हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरा कर रहा है। वर्तमान समय में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा शक्ति की कुल क्षमता 136 मेगावाट है जिसे वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 450 मेगावाट किए जाने का प्रस्ताव है। भारत में मौजूद प्राकृतिक संसाधन की अगर बात करे तो भारत के पास दुनिया के कुल प्राकृतिक गैस भंडार का कुल 0.6 फीसदी और 0.3 फीसदी तेल भंडार उपलब्ध है। इसके साथ साथ भारत अपने ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए कोयले पर निर्भर है। ऊर्जा के ये सभी श्रोत एक तो काफी खर्चीले है उसके साथ साथ इससे काफी प्रदूषण भी फैलता है। आज भारत पूरी दुनिया का तीसरा सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन वाला देश है। इन तमाम कारणों से देश में हरित और स्वच्छ ऊर्जा की जरूरत महसूस की जा रही है।
क्या हरित ऊर्जा ही है एकमात्र विकल्प?
ग्रीन हाउस गैस और वायु मंडल में कार्बन की बढ़ती मात्रा से आज पूरा विश्व चिंतित है। इसके कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इसके साथ साथ वायुमंडल के गर्म होने से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिससे कारण कई द्वीपीय देश तथा तटीय इलाकों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इन तमाम कारणों के लिए एक तरह से ऊर्जा के पारंपरिक श्रोत कसूरवार है। इन आपदाओं से बचने के लिए भारत ही नहीं  पूरे विश्व को हरित ऊर्जा अपनाने तथा उसे बढ़ावा देने की आवश्यकता हैं। हालांकि काफी पहले से हमारे देश में इसपर पूरे जोड़ शोर से काम हो रहा है।
हरित ऊर्जा और देश का भविष्य
भारत ही नहीं पूरी दुनिया हरित ऊर्जा को भविष्य के ऊर्जा विकल्प के रूप में देख रही है। ऊर्जा के पारंपरिक श्रोत को दरकिनार कर भारत समेत दुनिया के कई देश अब हरित ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। भारत ने खुद पहल करते हुए अंतराष्ट्रीय सौर गठबंधन की नींव रखी। आज इस गठबंधन को पूरी दुनिया के 120 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त हैं। इस संगठन का उद्देश कर्क और मकर रेखा के बीच बसे उन देशों को एक मंच पर लाना हैं जहां धूप की बहुलता है। इस प्रयास को पूरी दुनिया सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देख रही है। इसके साथ साथ भारत ने हाइड्रोजन ऊर्जा पर भी काफी निवेश करना शुरू किया है। पिछले वर्ष ही केंद्र सरकार ने अपने बजट में एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की थी, जो हाइड्रोजन को एक वैकल्पिक ईंधन श्रोत के रूप में उपयोग करने का रोडमैप तैयार करेगा। राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के तहत हाइड्रोजन का प्रयोग ऊर्जा के पारंपरिक श्रोत के बदले किया जाएगा जिसके कारण भारत कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य को पूरा कर सकता है। इसके साथ साथ यह भारत के ऊर्जा जरूरत को पूरा करने हेतु आयात जीवाश्म ईंधन जैसे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भार को भी कम करेगा। हमारे देश के कई शोध संस्थान भी लगातार ऊर्जा के वैकल्पिक श्रोत की खोज में लगे हैं।
हरित ऊर्जा के प्रति सरकार का रुख
बीते कई वर्षों ने भारत सरकार ने हरित ऊर्जा उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया है। भारत आज दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादन करने वाला देश है। वर्ष 2014 में देश में सौर ऊर्जा से 2.63 गीगावट यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा था जो 2021 में बढ़कर 42.33 गिगावाट हो गया। सौर ऊर्जा के सयंत्रो के निर्माण, उसके रखरखाव तथा उसके उत्पादन आधारित प्रोत्साहन हेतु भारत सरकार ने बजट 2022-23 में 1950 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है। इसके साथ साथ जीवाश्म गैस संबंधित ऊर्जा के लिए भी सरकार ने कई महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। केंद्र सरकार ने गैसीय ऊर्जा को वर्तमान में 6 प्रतिशत से बढ़ाकर साल 2030 तक 15 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष रखा है। पेट्रोल में 20 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाकर इस्तेमाल करने की इजाजत पहले ही दी जा चुकी है इसके साथ साथ साल 2030 तक डीजल में 5 प्रतिशत तक बायो डीजल मिलाकर उपयोग करने का लक्ष्य रखा गया है। हाल ही में नई दिल्ली नगर निगम ने 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा का उपयोग करने वाला नगर निगम बनने की बात कही। एनएमडीसी 2025 तक अपने इसे पूरा करने का लक्ष रखा है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने राज्य का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारी सरकार राज्य की ऊर्जा जरूरत को शत प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करने हेतु प्रयासरत है। ग्लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचामृत की बात कहीं जिसमें दो प्रमुख अमृत तत्व भारत को अपनी अक्षय ऊर्जा को 50 गीगावाट तक बढ़ाने और 2030 तक अपने जरूरत का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करने हेतु प्रतिबद्ध है। इन तमाम प्रयासों की वजह से भारत भविष्य के अक्षय ऊर्जा महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है।

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