बजट की नज़र से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति

बजट देश की आय और व्यय का विवरण तो देता ही है साथ ही यह भी बताता है कि हमारी अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति है। बजट में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कितनी गति से चल रही है। आम लोगों के सपनों में कितनी गति देगा बजट और साथ ही विकास के इंजन की रफ्तार क्या होगी। 1948 में सकल घरेलू बचत 9.5 फ़ीसदी (जीडीपी का) था जो आज 2022 में 31.4 फ़ीसदी (जीडीपी का) हो गया है। बचत में वृद्धि से निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और बैंक के पास भी नगदी रहेगी। इसी प्रकार वित्त वर्ष 2021-2022 में कर संग्रह 7.1 फ़ीसदी (जीडीपी का) जा पहुंचा। जिससे राजकोषीय स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी और सरकार हाथ खोलकर खर्च करेगी।

पिछले 2 वर्षों से कर्ज स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है सिर्फ कॉर्पोरेट टैक्स को 18 फ़ीसदी से घटाकर 15 फ़ीसदी किया गया है। इस फैसले से बचत में वृद्धि होगी जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इस वित्त वर्ष के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ पर काफ़ी ध्यान दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि हम अमृत काल में है यानी ऐसा काल जहाँ हम काफ़ी तेज़ी से विकास कर सकते हैं जिसमें ऐसा विशेष चक्र बनाना होगा जिससे निवेश आकर्षित किया जाएगा। इसके अलावा सरकार ने विकास के लिए चार प्राथमिकताओं को तय किया है।  जिसमें पीएम गति शक्ति के माध्यम से 100 लाख करोड़ का इंफ्रास्ट्रक्चर आने वाले वर्षों में तैयार किया जाएगा। रेलवे, रोड और पोर्ट को इस मिशन के माध्यम से विकसित किया जाएगा। पीएम मोदी ने इस बजट को गरीबों का कल्याण करने वाला बजट बताया। उन्होंने कहा कि हर गरीब को पक्का घर मिले, हर नल में जल आए, उनके पास शौचालय हो और गैस की व्यवस्था हो। इन सभी पर विशेष ध्यान देते हुए यह बजट बनाया है। साथ ही आधुनिक इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया है। हिमालय क्षेत्र में जीवन आसान बनाने और वहाँ से पलायन रोकने के लिए  नई घोषणाएं की गई हैं। हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए पर्वतमाला योजना की शुरुआत की गई है। जिसमें 60 किलोमीटर तक के रोपवे बनाए जाएंगे। इससे पहाड़ों पर ट्रांसपोर्ट और कनेक्टिविटी बढ़ेगी।

समावेशी विकास के लिए 1.63 करोड़ किसानों को गेहूं व धान की खरीदी पर 2.37 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इससे अधिक से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की खरीदी हो सके। देश के ग्रोथ इंजन कहे जाने वाले एमएसएमई क्षेत्र के लिए  6000 करोड़ आरएएमपी(रैंप-परियोजनाओं के लिए जोखिम विश्लेषण और प्रबंधन) प्रोग्राम के तहत प्रदान किए जाएंगे। जिससे कोरोना काल में वित्तीय स्थिति से जूझ रहे इस क्षेत्र में स्थिरता आएगी और स्वरोजगार के अवसर मिलेगा।

शिक्षा क्षेत्र में वर्चुअल लैब्स के माध्यम से उच्च श्रेणी की सामग्री दी जाएगी। जिससे सुदूर क्षेत्र में आसानी से शिक्षा दी जा सके और चल रही महामारी के कारण कोई भी गुणवत्तायुक्त शिक्षा से चूक ना जाए।

डिफेन्स सेक्टर के लिए वित्त मंत्री ने कहा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास के लिए बजट का 25% रक्षा आरएंडडी के साथ उद्योग, स्टार्टअप और शिक्षा के लिए खोला जाएगा। निजी उद्योग को एसपीवी (स्पेशल पर्पस व्हीकल) मॉडल के माध्यम से डीआरडीओ के सहयोग से सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के डिजाइन और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। रक्षा में पूंजीगत खरीद बजट का 68 फ़ीसदी घरेलू उद्योग के लिए 2022-23 में निर्धारित किया जाएगा। यह पिछले वित्त वर्ष के तुलना में 58 फ़ीसदी से ऊपर है।

सब को पक्की छत के लिए वित्त वर्ष 2022-23 में 80 लाख घर बनाए जाएंगे। बैंकिंग क्षेत्र में समावेशी विकास के लिए 1.5 लाख पोस्ट ऑफिस को कोर बैंकिंग सिस्टम में लाया जा रहा है। डिजिटल बैंकिंग को बढ़ाने के लिए 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स 75 जिलों में बनाए जाएंगे जिससे समावेशी विकास को सुनिश्चित किया जा सके। पूंजीगत व्यय (परिसंपत्तियों के निर्माण पर किए जाने वाला व्यय)  6 लाख करोड़ से बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ कर दिया गया है। पिछले वित्त की तुलना में इसमें 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इस व्यय से परिसंपत्तियों का निर्माण होगा जिससे रोजगार के अवसर सृजित होगें और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी होगी।

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